जयपुर शहर भारत देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राजधानी है। जयपुर राजस्थान का सबसे बड़ा शहर है|जयपुर में कई घूमने की जगह है और खाने की जगह के लिए भी बड़ा फेमस है |जयपुर अपनी समृद्ध भवन सरस-संस्कृति, निर्माण-परंपरा, और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से सजा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है।
जयपुर में घूमने के लिए 10 सबसे बेहतरीन जगह
1 . जयगढ़ किला
2 . जल महल
3 . अल्बर्ट हॉल संग्रहालय
4 . नहरगढ़ किलानहरगढ़ किला
5 . जंतर मंतर
6 . हवा महल
7 . आमेर किला
8 . सिटी पैलेस
1 . जयगढ़ किला
जयगढ़ किला को जीत का किला भी कहा जाता है।
यह किला आमेर में स्थित है, जयपुर शहर सीमा मे यह किला १७२६ में बनकर तैयार हुआ था। यहाँ पर विश्व की सबसे बड़ी तोप रखी हुई है।
जयगढ़ किला विद्याधर नामक एक प्रतिभाशाली वास्तुकार द्वारा निर्मित और डिजाइन किया गया जिसकी वजह से यह किला यहाँ आने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ बेहद आकर्षित करता है।
2 . जल महल
तपते रैगिस्तान के बीच बसे इस महल में गरमी नहीं लगती, क्योंकि इसके कई तल पानी के अंदर बनाए गए हैं। इस महल से झील और पहाड़ का ख़ूबसूरत नज़ारा भी देखा जा सकता है। चांदनी रात में झील के पानी में इस महल का नजारा बेहद आकर्षक होता है।
जलमहल अब पक्षी अभ्यारण के रूप में भी विकसित हो रहा है। जल महल के नर्सरी में 1 लाख से ज्यादा वृक्ष लगे हुए हैं। दिन रात 40 माली पेड़ पौधों की देखभाल में लगे रहते हैं। यह नर्सरी राजस्थान का सबसे उंचे पेड़ों वाला नर्सरी है। यहां अरावली प्लांट, ऑरनामेंटल प्लांट, शर्ब, हेज और क्रिपर की हजारों विभिन्नताएँ मौजूद हैं। यहाँ के १५0 वर्ष पुराने पेड़ों को ट्रांसप्लांट कर नया जीवन दिया गया है। हर साल यहां डेट पाम, चाइना पाम और बुगनबेलिया जैसे शो प्लांट को ट्रांसप्लांट किया जाता है।
3.अल्बर्ट हॉल संग्रहालय
महाराजा राम सिंह चाहते थे कि इसको एक टाउन हॉल बनाया जाये परंतु "माधोसिंह 2" ने यह निर्णय लिया कि इसे जयपुर के लिए एक कला का संग्रहालय बनाया जाये और इसको राम निवास उद्यान का अंग माना जाता है।
यह "सरकारी केन्द्रीय संग्रहालय" के नाम से भी जाना जाता है। इस संग्रहालय में कई पुराने धातु ,कीमती पत्थर ,हाथी दाँत ,दरियाँ ,चित्र ,मूर्तियाँ रंगबिरंगी कई वस्तुएँ देखने को मिलती है।
4 . नहरगढ़ किला
आमेर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस किले को सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने सन १७३४ में बनवाया था।
१९ वीं शताब्दी में सवाई राम सिंह और सवाई माधो सिंह के द्वारा भी किले के अन्दर भवनों का निर्माण कराया गया था जिनकी हालत ठीक ठाक है जब कि पुराने निर्माण जीर्ण शीर्ण हो चले हैं। यहाँ के राजा सवाई राम सिंह के नौ रानियों के लिए अलग अलग आवास खंड बनवाए गए हैं जो सबसे सुन्दर भी हैं।
5 . जंतर मंतर
आमेर के राजा सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने 1728 में अपनी निजी देखरेख में शुरू करवाया था, जो सन 1734में पूरा हुआ था। सवाई जयसिंह एक खगोल वैज्ञानिक भी थे ॥
इस वेधशाला में खड़े किये गए यंत्रो में सम्राट, जयप्रकाश और राम यंत्र भी हैं, जिनमें से सम्राट यन्त्र सबसे बड़ा है जिसका उपयोग वायु परिक्षण के लिए किया जाता है। सम्राट यन्त्र की ऊंचाई 140 फिट है, जिसके ऊपरी सिरे पर आकाशीय ध्रुव को इंगित किया गया है, साथ ही इस पर समय बताने के निशान बनाए गए हैं जो आज भी घंटे, मिनट और चौथाई मिनट तक की सटीक जानकारी देते हैं।
जयपुर का जन्तर मन्तर सवाई जयसिंह द्वारा १७२४ से १७३४ के बीच निर्मित एक खगोलीय वेधशाला है। यह यूनेस्को के 'विश्व धरोहर सूची' में सम्मिलित है। इस वेधशाला में १४ प्रमुख यन्त्र हैं जो समय मापने, ग्रहण की भविष्यवाणी करने, किसी तारे की गति एवं स्थिति जानने, सौर मण्डल के ग्रहों के दिक्पात जानने आदि में सहायक हैं।
6 . हवा महल
इसे सन 1799 में राजस्थान जयपुर बड़ी चौपड़ पर महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था और इसे किसी 'राजमुकुट' की तरह वास्तुकार लाल चंद उस्ता द्वारा डिजाइन किया गया था। इसकी अद्वितीय पाँच-मंजिला इमारत जो ऊपर से तो केवल डेढ़ फुट चौड़ी है, बाहर से देखने पर मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखाई देती है, जिसमें 953 बेहद खूबसूरत और आकर्षक छोटी-छोटी जालीदार खिड़कियाँ हैं, जिन्हें झरोखा कहते हैं। इन खिडकियों को जालीदार बनाने के पीछे मूल भावना यह थी कि बिना किसी की निगाह पड़े "पर्दा प्रथा" का सख्ती से पालन करतीं राजघराने की महिलायें इन खिडकियों से महल के नीचे सडकों के समारोह व गलियारों में होने वाली रोजमर्रा की जिंदगी की गतिविधियों का अवलोकन कर सकें। इसके अतिरिक्त, "वेंचुरी प्रभाव" के कारण इन जटिल संरचना वाले जालीदार झरोखों से सदा ठण्डी हवा, महल के भीतर आती रहती है, जिसके कारण तेज गर्मी में भी महल सदा वातानुकूलित सा ही रहता है।

हवा महल की देख-रेख राजस्थान सरकार का पुरातात्विक विभाग करता है। वर्ष 2005 में, करीब 50 वर्षों के लम्बे अन्तराल के बाद बड़े स्तर पर महल की मरम्मत और नवीनीकरण का कार्य किया गया, जिसकी अनुमानित लागत 45679 लाख रुपये आई थी।
7 . आमेर किला
आमेर के बसने से पहले इस जगह मीणा जनजाति के लोग रहते थे , जिन्हे कच्छवाह राजपूतो ने अपने अधीन कर लिया, जिस पर कालांतर में कछवाहा राजपूत मान सिंह प्रथम ने इस दुर्ग का निर्माण करवाया।[3] यह दुर्ग व महल अपने कलात्मक विशुद्ध हिन्दू वास्तु शैली के घटकों के लिये भी जाना जाता है। दुर्ग की विशाल प्राचीरों, द्वारों की शृंखलाओं एवं पत्थर के बने रास्तों से भरा ये दुर्ग पहाड़ी के ठीक नीचे बने मावठा सरोवर को देखता हुआ प्रतीत होता है।
वर्तमान आमेर महल को १६वीं शताब्दी के परार्ध में बनवाया गया जो वहां के शासकों के निवास के लिये पहले से ही बने प्रासाद का विस्तार स्वरूप था। यहां का पुराना प्रासाद, जिसे कादिमी महल कहा जाता है (प्राचीन का फारसी अनुवाद) भारत के प्राचीनतम विद्यमान महलों में से एक है। यह प्राचीन महल आमेर महल के पीछे की घाटी में बना हुआ है।
8 . सिटी पैलेस
सिटी पैलेस जयपुर में स्थित राजस्थानी व मुगल शैलियों की मिश्रित रचना एक पूर्व शाही निवास जो पुराने शहर के बीचोंबीच है। भूरे संगमरमर के स्तंभों पर टिके नक्काशीदार मेहराब, सोने व रंगीन पत्थरों की फूलों वाली आकृतियों ले अलंकृत है। संगमरमर के दो नक्काशीदार हाथी प्रवेश द्वार पर प्रहरी की तरह खड़े है। जिन परिवारों ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी राजाओं की सेवा की है।
वे लोग गाइड के रूप में कार्य करते है। पैलेस में एक संग्राहलय है जिसमें राजस्थानी पोशाकों व मुगलों तथा राजपूतों के हथियार का बढ़िया संग्रह हैं। इसमें विभिन्न रंगों व आकारों वाली तराशी हुई मूंठ की तलवारें भी हैं, जिनमें से कई मीनाकारी के जड़ऊ काम व जवाहरातों से अलंकृत है तथा शानदार जड़ी हुई म्यानों से युक्त हैं। महल में एक कलादीर्घा भी हैं जिसमें लघुचित्रों, कालीनों, शाही साजों सामान और अरबी, फारसी, लेटिन व संस्कृत में दुर्लभ खगोल विज्ञान की रचनाओं का उत्कृष्ट संग्रह है जो सवाई जयसिंह द्वितीय ने विस्तृत रूप से खगोल विज्ञान का अध्ययन करने के लिए प्राप्त की थी।
9.गल्ताजी [ Galta Ji ]
आज मैं आपको बताऊंगा जयपुर के फेमस मंदिर गल्ताजी के बारे में इसका नाम गलता जी मंदिर है अरावली की पहाड़ियों के बीच यह मंदिर स्थित है यहां की हरियाली आपको मंत्र मुक्त बना देंगे आप देख कर खुश हो जाओगे कि यह मंदिर यह मंदिर दीवान कृपा नामक राजा ने बनवाया था यह मंदिर उच्च चोटी पर स्थित है यह मंदिर जयपुर का गाना भी कहा जाता है यह मंदिर जयपुर से केवल 10 किलोमीटर दूर है गलता जी में कुल सात पवित्र कुंड है इन गुंडो के बीच गलताजी कुंड को सबसे ज्यादा पवित्र माना गया है |
10. बिरला मंदिर (Birla Mandir)
आज मैं आपको बिरला मंदिर के बारे में बताऊंगा वैसे तो बिरला मंदिर पूरे देश में है लेकिन जयपुर के बिरला मंदिर की बात कुछ और है यह मंदिर बिरला फाउंडेशन द्वारा निर्मित किया गया है और 1988 में यह मंदिर सफेद पत्थर यानी सफेद संगमरमर से बनाया हुआ है यह मंदिर रोज सुबह 8:00 बजे से दोपहर के 12:00 बजे तक खुला होता है और शाम को 4:00 बजे से रात के 8:00 बजे तक खुला रहता है यह मंदिर देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु जी का मंदिर हे यह मंदिर जयपुर मैं तिलक नगर के पास आया हुआ है |