उज्जैन महाकाल मंदिर: भगवान शिव का पावन धाम
उज्जैन महाकाल मंदिर भारत के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मध्य प्रदेश के प्राचीन शहर उज्जैन में स्थित है। हजारों श्रद्धालु प्रतिवर्ष भगवान महाकालेश्वर के दर्शन के लिए आते हैं।
यहां भगवान शिव की भव्य प्रतिमा आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। साथ ही, आध्यात्मिक वातावरण आपको प्रेरित करेगा।
प्रमुख टेकअवे
- उज्जैन महाकाल मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
- यह मंदिर मध्य प्रदेश का एक प्राचीन और धार्मिक शहर उज्जैन में स्थित है।
- हजारों श्रद्धालु प्रतिवर्ष महाकालेश्वर के दर्शन के लिए उज्जैन आते हैं।
- मंदिर में भगवान शिव की भव्य प्रतिमा और आध्यात्मिक वातावरण है।
- महाकाल मंदिर उज्जैन की प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक हिस्सा है।
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और कुशलपुर नगर में स्थित है। यह स्थान "बाबा महाकाल की नगरी" के नाम से भी जाना जाता है।
संपूर्ण विश्व में विख्यात महाकालेश्वर मंदिर
महाकालेश्वर मंदिर 10.77 x 10.77 वर्ग मीटर क्षेत्र में है और 28.71 मीटर ऊंचा है। महाशिवरात्रि और श्रावण माह में यहां भक्तों की भारी संख्या आती है।
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महत्वपूर्ण मंदिर
महाकालेश्वर मंदिर शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसका निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ और 12वीं शताब्दी में पुनर्निर्माण किया गया।
उज्जैन, बाबा महाकाल की नगरी
उज्जैन एक प्राचीन शहर है जहां महाकालेश्वर मंदिर काफी ऐतिहासिक है। मंदिर के परिसर में भस्म आरती, शिवलिंग, ओंकारेश्वर शिवलिंग, प्रवेश द्वार और अन्य स्थल हैं।
महाकालेश्वर मंदिर को ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। यह शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसकी स्थापना और पुनर्निर्माण की कई ऐतिहासिक जानकारियां हैं, जो इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाती हैं।
सुविधाएं और कनेक्टिविटी
उज्जैन, जो महाकाल मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, अच्छी सड़क और रेल कनेक्टिविटी से सुसज्जित है। यह शहर उज्जैन शहर का इतिहास और उज्जैन मंदिर पर्यटन के लिए जाना जाता है।
सड़क मार्ग से कनेक्टिविटी
उज्जैन को इंदौर, भोपाल, रतलाम, ग्वालियर, मांडू, धार, कोटा और ओंकारेश्वर जैसे शहरों से सड़कों के माध्यम से अच्छी तरह से जोड़ा गया है। महाकाल मंदिर वास्तुकला के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह सुविधाजनक है।
रेलवे स्टेशन से निकटता
उज्जैन रेलवे स्टेशन महाकालेश्वर मंदिर से केवल कुछ किलोमीटर की दूरी पर है, जिससे श्रद्धालुओं को आने-जाने में आसानी होती है। महाकाल मेला के दौरान विशेष रूप से उपयोगी है, जब शहर में भारी भीड़ होती है।
सुविधा | विवरण |
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ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन | महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 60 दिन पहले से किया जा सकता है। |
भस्म आरती अवधि | भस्म आरती के लिए एक स्लॉट में 50 लोगों को दर्शन करने की अनुमति है। |
भस्म आरती बुकिंग | भस्म आरती के लिए ऑनलाइन बुकिंग के लिए 200 रुपये का भुगतान करना होता है। |
बुकिंग समय | दर्शन से 2 दिन पहले भी आप बुकिंग कर सकते हैं। |
एकाधिक बुकिंग | एक खाते से 10 लोगों के लिए बुकिंग करने की सुविधा है। |
मोबाइल और लॉकर | मंदिर के अंदर मोबाइल फोन ले जाना सख्त मना है और एक लॉकर की सुविधा भी उपलब्ध है। |
पहनावा | पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता और महिलाओं के लिए साड़ी, आधी साड़ी, कुर्ता या ड्रेस पहनना अनिवार्य है। |
उज्जैन को Simhastha 2028 के लिए सड़क और रेल कनेक्टिविटी में सुधार किया जा रहा है। मध्य प्रदेश में रेल सुविधाओं में वृद्धि और रेलवे ट्रैक के विस्तार की योजना है। इसके अलावा, Indore-Ujjain Metro के संभावना अध्ययन पर भी काम किया जा रहा है।
महाकालेश्वर मंदिर का महत्व
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, उज्जैन महाकाल मंदिर काफी महत्वपूर्ण है। इसकी तीन मंजिलें अपने आप में एक शानदार नजारा पेश करती हैं। प्रत्येक मंजिल पर शिव की विशेष प्रतिमाएं स्थापित हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए काफी प्रिय हैं।
मंदिर के आसपास कोटि तीर्थ कुंड स्थित है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थान है। यहां स्नान करके वे अपने पापों से मुक्त हो सकते हैं और शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
विशेषता | विवरण |
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तीन मंजिला मंदिर | महाकालेश्वर मंदिर की अद्भुत तीन मंजिला संरचना, प्रत्येक मंजिल पर विशेष शिव प्रतिमाएं स्थापित हैं। |
कोटि तीर्थ कुंड | मंदिर परिसर में स्थित यह पवित्र तीर्थ कुंड श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। |
इस प्रकार, उज्जैन महाकाल मंदिर की विशेष वास्तुकला और पावन तीर्थ कुंड श्रद्धालुओं के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। यहां आकर, भक्त अपने पापों से मुक्त होकर शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
धार्मिक विशेषताएं
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करना श्रद्धालुओं के लिए एक अनमोल अनुभव है। यहां आने से उन्हें पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मंदिर में आयोजित विविध धार्मिक उत्सव और समारोह भक्तों के लिए आध्यात्मिक लाभ प्रदान करते हैं।
पापमुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति
महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने से श्रद्धालुओं को पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह प्राचीन धार्मिक मान्यता है कि इस पवित्र स्थल पर आकर भक्त अपने सारे पापों से छुटकारा पा लेते हैं और आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करते हैं।
भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण
यहां आने वाले भक्त अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिर में आयोजित विशेष धार्मिक उत्सवों और समारोहों में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं, जिससे उनकी आध्यात्मिक इच्छाएं पूरी होती हैं।
"श्रद्धालु भक्तों की मनोकामनाएं महाकालेश्वर मंदिर में पूर्ण होती हैं।"
इस प्रकार, महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन के लोगों और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है, जहाँ वे पापमुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति करते हैं तथा अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
प्राचीन वास्तुकला
महाकालेश्वर मंदिर की वास्तुकला प्राचीन और विशिष्ट है। इसका पांच स्तरीय शिखर विशेष आकर्षण का केंद्र है। मंदिर के अन्य भागों में अद्भुत नक्काशी और प्रवेश द्वार देखने लायक हैं।
पांच स्तरीय शिखर
महाकालेश्वर मंदिर का पांच स्तरीय शिखर मंदिर की मुख्य विशेषता है। यह शिखर 28.71 मीटर ऊंचा है और मंदिर परिसर का एक प्रमुख आकर्षण है। इस पांच स्तरीय शिखर को देखकर आप मंदिर की प्राचीन वास्तुकला का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।
अद्भुत नक्काशी और प्रवेश द्वार
महाकालेश्वर मंदिर के प्रवेश द्वार और अन्य भागों में अद्भुत नक्काशी देखी जा सकती है। इन प्राचीन और कलात्मक नक्काशियों में मंदिर की गौरवशाली वास्तुकला का दर्शन होता है। मंदिर में प्रवेश करते समय आप इन सुंदर नक्काशियों का आनंद ले सकते हैं।
"महाकालेश्वर मंदिर की वास्तुकला में प्राचीन भारतीय शिल्प कला की झलक देखी जा सकती है। यह मंदिर भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आकर्षण का केंद्र है।"
ujjain mahakal mandir
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में एक दक्षिण मुखी शिवलिंग स्थापित है, जो देशभर में विशिष्ट है। यह स्थल श्रद्धालुओं के लिए पवित्र है, जहां वे शांति और निष्कलुषता प्राप्त करते हैं। आइए, इस मंदिर की विशेषताओं और महत्व को जानते हैं।
भगवान शिव का दक्षिण मुखी शिवलिंग
महाकाल मंदिर में स्थित शिवलिंग दक्षिण मुखी है, जो देश-विदेश में प्रसिद्ध है। यह शिवलिंग श्रद्धालुओं के लिए शांति और निष्कलुषता का स्रोत है।
दक्षिण मुखी शिवलिंग को लोकोत्तर ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। यहां की प्रार्थना और पूजा आध्यात्मिकता को जन्म देती है। श्रद्धालुओं के लिए यह स्थल कृपा-प्रसाद का स्रोत है।
महाकाल मंदिर में पुरानी वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। यहां आने वाले अद्भुत अनुभव प्राप्त करते हैं। महाकालेश्वर मंदिर की दक्षिण मुखी मूर्ति का महत्व देशभर में जाना जाता है।
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आध्यात्मिक महत्व
महाकालेश्वर मंदिर के आसपास बहने वाली पवित्र क्षिप्रा नदी श्रद्धालुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह नदी देवी क्षिप्रा, भगवान शिव की बहन के नाम से जानी जाती है। धार्मशाला और होटल जैसी आवासीय सुविधाएं मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए उपलब्ध हैं।
क्षिप्रा नदी का पवित्र जल
क्षिप्रा नदी का पवित्र जल श्रद्धालुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह नदी मंदिर परिसर में बहती है और श्रद्धालु इसका स्नान करते हैं। स्नान करीब 4 बजे सुबह होता है, जब मंदिर की भस्माराधना होती है।
देवी क्षिप्रा, भगवान शिव की बहन
देवी क्षिप्रा, भगवान शिव की बहन के रूप में जानी जाती हैं। उनका पवित्र जल श्रद्धालुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उज्जैन में महाकाल मंदिर के पास की धार्मशाला में श्रद्धालु ठहर सकते हैं और देवी क्षिप्रा के पवित्र जल का स्नान कर सकते हैं।
"क्षिप्रा नदी का पवित्र जल भगवान शिव के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह नदी देवी क्षिप्रा, भगवान शिव की बहन के नाम से जानी जाती है।"
भस्म आरती का महत्व
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन प्रातः 4 बजे भगवान महाकाल की भस्म आरती की जाती है। यह आरती धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। आरती के दौरान, एक पौराणिक कथा के अनुसार, दूषण नामक एक राक्षस का वध किया जाता है।
श्रद्धालु इस आरती में शामिल होकर अपने पापों से मुक्ति पाते हैं। उज्जैन महाकाल मंदिर के लिए यह आरती एक विशेषता है, जहाँ समूचे देवता भगवान महाकाल की उपासना करते हैं।
प्रातः 4 बजे होने वाली भस्म आरती
प्रातः 4 बजे होने वाली भस्म आरती उज्जैन महाकाल मंदिर की एक प्राचीन परंपरा है। इस आरती में ढोल और नगाड़े बजाए जाते हैं, जिससे मंदिर में गूंज उठती है। आरती के समय, श्रद्धालुओं को निश्चित नियमों का पालन करना होता है, जिसमें पुरुषों को धोती पहनना और महिलाओं को घूंघट करना शामिल है।
दूषण राक्षस वध की पौराणिक कथा
भस्म आरती के दौरान, दूषण नामक एक राक्षस का वध किया जाता है। पौराणिक कथा बताती है कि भगवान महाकाल ने अपनी भस्म से इस राक्षस का संहार किया और शांति स्थापित की। यह कथा पापों से मुक्ति और जीवन में शुद्धता का संदेश देती है।
भस्म आरती का आध्यात्मिक महत्व
भस्म आरती का आध्यात्मिक महत्व बहुत है। यह आरती भक्तों को भगवान महाकाल के साथ जुड़ने का मौका देती है। श्रद्धालु इस अनुष्ठान में शामिल होकर अपने पापों से मुक्त होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति का आशीर्वाद पाते हैं।
मंदिर के रहस्य
उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल को 'राजाधिराज' के नाम से जाना जाता है। इस धार्मिक स्थल की संरचना में कई रहस्य छिपे हैं, जिनमें से कुछ वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हुए हैं। उज्जैन महाकाल मंदिर की विशेषताएं और इसके आध्यात्मिक महत्व के बारे में जानें।
राजाधिराज महाकाल
महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव को 'राजाधिराज महाकाल' के नाम से पुकारा जाता है। यह उनकी महिमा और समग्र शक्ति का प्रतीक है। मंदिर परिसर में उनके इस रूप की विशेष पूजा की जाती है।
पृथ्वी की कर्क रेखा गुजरने का रहस्य
महाकालेश्वर मंदिर पृथ्वी की कर्क रेखा पर स्थित है। वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को स्वीकार किया है। यह मानव जीवन और अध्यात्मिक शक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।
वैज्ञानिकों द्वारा मान्य ऊर्जा केंद्र
वैज्ञानिकों ने महाकालेश्वर मंदिर को एक प्रमुख ऊर्जा केंद्र माना है। यह अद्भुत आध्यात्मिक शक्तियों से परिपूर्ण है। मंदिर की वास्तुकला और स्थिति इसके रहस्य को रेखांकित करती है।
"महाकालेश्वर मंदिर परमेश्वर का पवित्र स्थान है, जहां भक्तों को मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि प्राप्त होती है।"
उज्जैन महाकालेश्वर जाने का सही समय
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख स्थल है। यहां सुबह, दोपहर और शाम के समय भक्तों का आगमन होता है। मंदिर के आसपास कई आवास सुविधाएं हैं, जहां श्रद्धालु ठहरा सकते हैं। यहां भगवान शिव के दर्शन से मन की शांति मिलती है।
उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के अलावा कई अन्य पर्यटन स्थल हैं। इनमें काल भैरव, विक्रमादित्य, हरसिद्धि और गड़कलिका मंदिर शामिल हैं। मंगलनाथ मंदिर भी एक प्रमुख स्थल है।
इन स्थलों का दौरा करने से श्रद्धालु उज्जैन की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का आनंद ले सकते हैं। उज्जैन की विविधता और समृद्धि श्रद्धालुओं को लुभाती है।
"उज्जैन में हर कोई भगवान शिव के दर्शन करने जाता है और अपने मन की शांति प्राप्त करता है।"
इस प्रकार, उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा का अनुभव प्रदान करता है।
महाकालेश्वर मंदिर का खुलने का समय
उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर प्रतिदिन सुबह 4 बजे से शाम 10 बजे तक खुला रहता है। श्रद्धालु इस समय मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना कर सकते हैं। मंदिर की ऊंचाई 28.71 मीटर है और रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं।
प्रातः 4 बजे से 7 बजे तक भस्म आरती का आयोजन होता है। सुबह 10:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक दर्शन किया जा सकता है। रात्रि दर्शन सूर्यास्त के साथ बदलता है।
कांवड़ यात्रा के दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है। सावन-भाद्रपद मास में लाखों भक्त मंदिर का दर्शन करने आते हैं। इन दिनों मंदिर में 2 से 2.5 लाख श्रद्धालु आते हैं।
इन भीड़भाड़ भरे दिनों में मंदिर प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है।
महाकालेश्वर मंदिर खुलने-बंद होने का समय |
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प्रातः 4:00 बजे से दर्शन शुरू |
सुबह 4:00 बजे से 7:00 बजे तक भस्म आरती |
सुबह 10:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक दर्शन |
सूर्यास्त के समय तक रात्रि दर्शन |
शाम 10:00 बजे मंदिर बंद |
महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों के लिए कई सुविधाएं उपलब्ध हैं। मंदिर प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है।
प्रसाद और भोग
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालु कई स्वादिष्ट प्रसाद और भोग प्राप्त करते हैं। महाकाल मंदिर प्रसाद और उज्जैन महाकाल मंदिर प्रसाद में शामिल हैं। सबसे लोकप्रिय हैं शुद्ध घी के लड्डू।
शुद्ध घी के लड्डू
महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं को शुद्ध घी के लड्डू मिलते हैं। ये लड्डू भगवान महाकाल के लिए हैं और आध्यात्मिक शक्ति देते हैं। मंदिर प्रशासन द्वारा प्रतिदिन 50 से 60 क्विंटल लड्डू तैयार किए जाते हैं। विशेष अवसरों पर अधिक मात्रा में लड्डू बनाए जाते हैं।
नए साल और नए वर्ष की पूर्व संध्या पर श्रद्धालुओं ने लड्डू खरीदे। 150 क्विंटल लड्डू बिके, जिनकी कीमत 60 लाख से अधिक थी। 11 लाख 50 हजार श्रद्धालुओं ने मंदिर देखा, 31 जनवरी को 3 लाख 50 हजार और 1 जनवरी को 8 लाख 50 हजार।
मंदिर ने दो दिनों के लिए 200 क्विंटल लड्डू तैयार किए। 100 ग्राम से 1 किलोग्राम तक वजन के पैकेट थे। महाकालेश्वर मंदिर के प्रसाद और भोग श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शक्ति देते हैं।
उज्जैन शिव-पार्वती रिसेप्शन
उज्जैन में 24 साल से महाशिवरात्रि के बाद शिव-पार्वती का विवाह समारोह होता है। हजारों श्रद्धालु इसमें शामिल होकर आशीर्वाद लेते हैं। मंदिर परिसर में नगर भोज का आयोजन भी होता है, जहां स्थानीय लोग और पर्यटक एकजुट होकर भगवान महाकाल का स्वागत करते हैं।
महाशिवरात्रि उत्सव के बाद का विवाह समारोह
महाशिवरात्रि के बाद उज्जैन में शिव और पार्वती का विवाह समारोह होता है। श्रद्धालु मंदिर में एकत्रित होकर भगवान के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए आते हैं।
भूत-प्रेत की बारात निकालना
विवाह समारोह में भूत-प्रेत की बारात निकाली जाती है। यह पौराणिक परंपरा मंदिर परिसर में होती है, जहां स्थानीय लोग भक्तिपूर्वक शामिल होते हैं।
नगर भोज का आयोजन
महाकाल मंदिर परिसर में नगर भोज का आयोजन होता है। स्थानीय समुदाय और पर्यटक एकजुट होकर भगवान महाकाल का स्वागत करते हैं। यह सामुदायिक गतिविधि उज्जैन की परंपरा और संस्कृति को प्रदर्शित करती है।
FAQ
1.क्या उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भारत के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है?
हाँ, उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भारत के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
2.उज्जैन को किन शहरों से जोड़ा गया है?
उज्जैन को इंदौर, भोपाल, रतलाम, ग्वालियर, मांडू, धार, कोटा और ओंकारेश्वर जैसे शहरों से सड़क मार्ग के माध्यम से जोड़ा गया है। इसके अलावा, रेलवे स्टेशन भी महाकालेश्वर मंदिर से केवल कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है।
3.महाकालेश्वर मंदिर की वास्तुकला क्या है?
महाकालेश्वर मंदिर की वास्तुकला अत्यंत प्राचीन और विशिष्ट है। इसका पांच स्तरीय शिखर विशेष आकर्षण का केंद्र है। मंदिर के अन्य भागों में भी अद्भुत नक्काशी और प्रवेश द्वार देखने लायक हैं।
4.महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव का कैसा शिवलिंग है?
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव का एक विशिष्ट दक्षिण मुखी शिवलिंग विराजमान है, जो पूरे देश भर में अपनी अनूठी विशेषता के लिए जाना जाता है।
5.महाकालेश्वर मंदिर में कब प्रातः 4 बजे की भस्म आरती होती है?
महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन प्रात: 4 बजे भस्म से भगवान महाकाल की आरती की जाती है, जिसका अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है।
6.क्या महाकालेश्वर मंदिर पृथ्वी की कर्क रेखा पर स्थित है?
हाँ, मंदिर की संरचना में यह रहस्य निहित है कि यह पृथ्वी की कर्क रेखा पर स्थित है। वैज्ञानिकों ने भी इस मंदिर को एक महत्वपूर्ण ऊर्जा केंद्र माना है, जो अध्यात्मिक शक्ति से परिपूर्ण है।
7.महाकालेश्वर मंदिर कब खुलता और बंद होता है?
महाकालेश्वर मंदिर प्रतिदिन सुबह 4 बजे से शाम 10 बजे तक खुला रहता है। श्रद्धालु इस समय के दौरान मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
8.महाकालेश्वर मंदिर में क्या प्रसाद और भोग प्राप्त होते हैं?
महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं को शुद्ध घी के लड्डू जैसे स्वादिष्ट प्रसाद और भोग प्राप्त होते हैं। ये प्रसाद भगवान महाकाल को समर्पित होकर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं।
9.उज्जैन में महाशिवरात्रि उत्सव के बाद क्या विशेष समारोह आयोजित किया जाता है?
उज्जैन में पिछले 24 सालों से महाशिवरात्रि उत्सव के बाद एक अनूठा शिव-पार्वती विवाह समारोह का रिसेप्शन दिया जाता है। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु भगवान के विवाह में शामिल होकर आशीर्वाद लेते हैं।